26-Apr-2024

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सांसदों के सेलरी की सिफारिशों के लिए स्वतंत्र आयोग के गठन का प्रस्ताव

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नई दिल्ली। संसदीय कार्य मंत्रालय ने सांसदों के वेतन और भत्तों के लिए सिफारिश करने के वास्ते तीन सदस्यीय स्वतंत्र आयोग के गठन का प्रस्ताव किया है।

आधिकारिक रूप से रविवार को यहां जारी सूचना के अनुसार यह फैसला सांसदों द्वारा अपना वेतन बढ़ाने के निर्णय लेने के बाद होने वाली आलोचना को ध्यान में रखकर किया गया है। सांसदों के वेतन और भत्ते बढ़ाने के निर्णय के बाद अक्सर जनता और समाचार माध्यमों में इसकी आलोचना होती है कि जन प्रतिनिधियों ने अपने लिए वेतन और भत्ते अपनी मर्जी के अनुसार बढ़ा दिए हैं।

इस मुद्दे को आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में मंगलवार से आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय ह्विप सम्मेलन के एजेंडे में भी शामिल किया गया है। सम्मेलन में संसद और राज्य विधानसभाओं में विभिन्न राजनीतिक दलों के ह्विप हिस्सा लेंगे। सम्मेलन की अध्यक्षता संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू करेंगे।

ह्विप के अखिल भारतीय सम्मेलन के मसौदे में विधायी कार्यों पर विचार विमर्श के साथ ही सांसदों के वेतन, भत्तों और पेंशन पर भी चर्चा की जाएगी और साथ ही इसके लिए आयोग बनाने के सरकार के प्रस्ताव पर सहमति बनाने का भी प्रयास किया जाएगा। सम्मेलन के दौरान यदि आयोग के गठन के मुद्दे पर सहमति बनती है तो सांसदों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम 1954 में संशोधन किया जाएगा। मंत्रालय का कहना है कि सांसदों का वेतन बहुत कम अथवा बहुत अधिक नहीं होना चाहिए। वेतना इतना अधिक नहीं हो कि राजनीति से बाहर के लोग वेतन के कारण सांसद बनने के लिए आकर्षित होंने लगें और ना ही इतना कम हो कि सांसद बनना सांसदों के जीवन के लिए संकटकारक बन जाए।

सूचना के अनुसार हमारे यहां सांसदों के वेतन में समय-समय पर बदलाव करने का प्रावधान है। सांसदों के वेतन में हमारे यहां वर्ष 2010 में बदलाव किया गया था और उसके अनुसार इस समय एक सांसद का मूल वेतन 50 हजार रुपए प्रति माह है। दुनिया के 37 विकसित और विकासशील देशों में सांसदों को मिलने वाले वेतन के संबंध में किए गए एक अध्ययन के अनुसार इन देशों के सांसदों को सात हजार रुपए से छह लाख रुपए वेतन मिलता है। इनमें ट्यूनिशिया में एक सांसद का मासिक वेतन 7952 रुपए प्रति माह है जबकि इजरायल में छह लाख 16 हजार 675 रुपए है।

देश में सांसदों का वेतन भले ही पांच साल से नहीं बढ़ाया गया है लेकिन उनका वेतन इन 37 देशों में किस स्तर पर है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि भारत के सांसदों से कम वेतन सिर्फ छह देशों के सांसदों को मिलता है जिनमें ट्यूनिसिया, वेनेजुएला, श्रीलंका, नेपाल, हैती और पनामा शामिल है।

संसदीय कार्य मंत्रालय ने ह्विप सम्मेलन के एजेंडा में सदन के बेहतर संचालन पर ध्यान देने पर बल दिया गया है और इसके लिए अंतर संसदीय फोरम बनाने की सिफारिश की गई है। इसका मकसद सदन में प्रबंधन व्यवस्था बनाए रखना है। इस फोरम के जरिए सदन के प्रतिनिधि सभी राजनीतिक दलों के बीच सदन के कामकाज सहित सभी मुद्दों पर समन्वय स्थापित किया जाएगा। इस समय देश में छह राष्ट्रीय और 53 राज्य स्तरीय राजनीतिक दल हैं।

इनके अलावा इस समय देश में 1737 राजनीतिक दल पंजीकृत हैं जिनमें से 37 दलों का 16वीं लोकसभा में प्रतिनिधित्व है। ह्विप का यह 17वां अखिल भारतीय सम्मेलन होगा। पहला सम्मेलन 1952 में इंदौर में आयोजित किया गया था। यह सम्मेलन हर साल नहीं होता है लेकिन संसदीय कार्यमंत्री नायडू का मानना है कि यह लगातार आयोजित किया जाना चाहिए। (साभार- राजस्‍थान पत्रिका)

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