इतनी अच्छी व्यवस्था दूसरे किसी कुम्भ में नहीं देखी
Publish Date:28-Feb-2016 19:36:09
उज्जैन पहुँचे आस्ट्रेलिया और ऑस्ट्रिया के संतों ने कहा
उज्जैन में 22 अप्रैल से 21 मई तक होने वाले सिंहस्थ की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है। अब तक जो तैयारियाँ हुई हैं, उनकी तारीफ उज्जैन में आये महामण्डलेश्वर जसराजपुरी, जो मूलत: आस्ट्रेलिया के हैं और स्वामी प्रेमानंद, जो ऑस्ट्रिया विएना के निवासी हैं, उन्होंने की है।
वे बताते हैं कि सन्यास धारण करने के बाद साधु का नया जन्म होता है और वह अपने पुराने नाम और जीवन को भूल जाता है। महामण्डलेश्वर जसराजपुरी वर्ष 1996 में भारत आये थे। स्वामी प्रेमानंद जी वर्ष 1988 में भारत आये थे। महामण्डलेश्वर जसराजपुरी बताते हैं कि उनके गुरु स्वामी श्री महेश्वरानंद पुरी जी से उनकी पहली मुलाकात वर्ष 1996 में सिडनी में हुई थी। वे उनके योग और अध्यात्म से प्रभावित हुए थे। तभी से उनसे दीक्षा ग्रहण कर वे भारत आ गये। आस्ट्रेलिया में उनके 10 आश्रम और ऑस्ट्रिया में 7 आश्रम हैं। पूरे विश्व में ढाई से तीन हजार आश्रम हैं। स्वामी जसराजपुरी जी ने पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उज्जैन में सिंहस्थ के लिये जो तैयारियाँ की जा रही हैं, उसका लाभ सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालुओं को मिलेगा।
स्वामी जसराजपुरी जी बताते हैं कि उन्होंने सिंहस्थ मेला क्षेत्र और उज्जैन शहर का भ्रमण किया है। यहाँ बिजली, पानी और साफ-सफाई के इंतजाम किये जा रहे हैं, जो काबिले तारीफ हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की तैयारी पहले और कहीं नहीं देखी गयी है। उन्होंने मेले की सुरक्षा व्यवस्था और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये आई.टी. का उपयोग किये जाने की भी तारीफ की। उनका कहना है कि ग्रीन सिंहस्थ की परिकल्पना आने वाले समय में देशभर में प्रेरणा का स्रोत बनेगी।
सिंहस्थ को सुचारू और व्यवस्थित करने के लिये मेला क्षेत्र को 6 जोन और 22 सेक्टर में विभक्त किया गया है। प्रत्येक सेक्टर में सेक्टर मजिस्ट्रेट की तैनाती की गयी है। मध्यप्रदेश सरकार ने इस वर्ष सिंहस्थ के लिये विभिन्न सरकारी विभाग द्वारा किये जा रहे 487 कार्यों के लिये 3092 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं। उज्जैन में सिंहस्थ-2004 में 262 करोड़ रुपये व्यय किये गये थे। वहीं सिंहस्थ 2016 में अनेक काम ऐसे हो रहे हैं, जो स्थायी प्रकृति के हैं। इनका लाभ उज्जैन के निवासियों को सिंहस्थ के बाद भी मिलता रहेगा।