20-May-2024

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प्रधान मंत्री मोदी का भाषण , झूठ, अनर्गल, और मुद्दाविहीन“ नरेंद्र मोदी झूठ की मशीन - सपरा

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भोपाल/ रतलाम, 8 मई 2024  पीएम मोदी जी ने जो खरगोन और धार में ध्रुवीकरण का जहर उगला है, उससे यह निश्चित होता है की वो, डर का व्यापार, विभाजनकारी राजनीति करके खौफ पैदा करना चाहते है।  पीएम वोट की खेती करने के लिए दहशत फैला रहे है।
क्या देश को ऐसा पीएम चाहिए जो महंगाई पर एक शब्द न बोले, बढ़ती बेरोजगारी का हल ना बताए, बढती आर्थिक विषमता पर न बोलें, किसानों की आए दुगनी करनी है बोलकर मुकर जाएं, मणिपुर में महिलाएं निर्वस्त्र करके घुमाई जाए और मोदी जी चुप हो जाए, महिला पहलवान दिल्ली की सड़को पर यौन शौषण का इंसाफ मांगती रह जाए, कर्नाटक के सांसद प्रज्वल रेवन्ना सैंकड़ों महिलाओं के बलात्कार की 3000 वीडियो बनाए, और मोदीजी उसके लिए वोट मांगे, लखीमपुर खीरी किसानों की हत्या के दोषी को क्लीन चिट देदे , कश्मीर में आज भी हमारे जवानो पर आतंकी हमले हो रहे है, चीन  को लाल आंखें दिखाने के बदले यह उनके साथ झूले झूलते है घुटने टेकते है। प्रधान मंत्री भावनात्मक और फर्जी राष्ट्रवाद के मुद्दों से देश को छल रहे है, भटका रहे है।
प्रधान मंत्री का दावा, कि कांग्रेस ने बाबा साहेब आंबेडकर जी की पीठ में चुरा घोंपा है, यह आधारहीन है, झूठ है। बीजेपी के सांसद और उप मुख्यमंत्री आए दिन बोल रहे है की 400 पार इसलिए चाहिए की हमे संविधान बदलना है.......।
अनंत हेगड़े, ज्योति मिर्धा, दिया कुमारी, लल्लू सिंह, अरुण गोविल, धरमपुरी अरविंद, इन बीजेपी नेताओं ने ताल ठोक के बाबासाहेब आंबेडकर जी के सविधान को चेलेंज किया है। सविधान बदलना बीजेपी का छुपा एजेंडा है, सीधे सीधे बाबासाहेब आंबेडकर के सीने में छुरा घोपना है।
*‘‘बीजेपी का पाकिस्तान प्रेम, मोदीजी की नवाज शरीफ को जादु जफ्फी“*
कांग्रेस के प्रधान मंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह 10 वर्षो में एक बार भी पाकिस्तान नही गए। स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े किए। पीएम मोदी ने 2014 में अपने शपथग्रहण के समय नवाज शरीफ को प्रमुख अतिथि के रूप में बुलवाया, फिर नवाज शरीफ के जन्म दिन पर बिन बुलाए मेहमान बनकर पाकिस्तान पहुंच गए। पठानकोट आतंकी हमले में हमारे आला आफिसर मारे गए, लेकिन मोदी जी ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई.एस.आई. को रेड कार्पेट वेलकम दिया।
कश्मीर में 10000 पत्थरबाजो के केस वापस लिए और मेजर आदित्य कुमार पर एफआईआर दर्ज किया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जी ने ‘‘लाहौर बस सेवा“ शुरू की, ‘‘मीनारे पाकिस्तान“ पर माथा टेका। 2005 में तबके बीजेपी अध्यक्ष और पूर्व उप प्रधान मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी जी ने पाकिस्तान जाकर जिन्ना की मजार पर फूल चढ़ाए और जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष बताया। मोदीजी बीजेपी के पाकिस्तान प्रेम का उत्तर दे, ‘‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे“?
*प्रधानमंत्री एवं मध्यप्रदेष सरकार से हमारे सवाल :*
1. भाजपा  मध्यप्रदेश के आदिवासी ज़िलों में रेल कनेक्टिविटी सुधारने में क्यों विफल रही है?
2. क्यों ‘‘मोदी के परिवार“ में आदिवासियों के लिए कोई स्थान नहीं है?
3. मोदी सरकार प्रवासी श्रमिकों की उपेक्षा क्यों करती रहती है?
*जुमलों का विवरण :*
1. 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद भी मोदी सरकार दाहोद-इंदौर और छोटा उदयपुर-धार रेलवे लाइन को पूरा करने में विफल रही है। इन रेलवे लाइन्स को यूपीए सरकार ने मंजूरी दी थी। दस साल बाद भी निर्माण शुरू नहीं हुआ है। बेहतर रेल कनेक्टिविटी मध्य प्रदेश के अपेक्षाकृत अलग-थलग आदिवासी बहुल ज़िलों धार और झाबुआ में समृद्धि लाएगी लेकिन राज्य और केंद्र की भाजपा सरकारों ने इस परियोजना को नज़रअंदाज़ किया है। क्या प्रधानमंत्री इन महत्वपूर्ण रेलवे लाइनों में 10 से भी ज़्यादा वर्ष की देरी के लिए स्पष्टीकरण देंगे? क्या इसका कारण आदिवासी समुदाय के प्रति उनकी सामान्य रूप से दिखने वाली उदासीनता है?
2. मोदी सरकार ने न केवल मध्य प्रदेश के आदिवासी समुदायों की उपेक्षा की है, बल्कि उनके बीच भय का वातावरण भी पैदा कर दिया है। केंद्रीय बजट में आदिवासियों के लिए आवंटन 2017 में नीति आयोग द्वारा निर्धारित 8.2 प्रतिषत लक्ष्य से लगातार कम हो गया है। मध्यप्रदेश में आदिवासी कल्याण के लिए 3 लाख करोड़ रुपए आवंटित करने का उनका चुनावी वादा अधूरा है। झाबुआ में पीएम की रैली के बाद बैतूल में बीजेपी कार्यकर्ता एक आदिवासी युवक को बेरहमी से पीटते दिखे। पिछले साल परेशान कांड वाले वायरल वीडियो में एक भाजपा नेता को सार्वजनिक रूप से एक आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करते हुए दिखाया गया था। यह स्पष्ट है कि ‘‘मोदी के परिवार“ में आदिवासी समुदाय के लिए कोई जगह नहीं है। कांग्रेस पार्टी आदिवासी कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। हमने एससी-एसटी उप-योजना को कानूनी दर्जा देने की गारंटी दी है, जिसके लिए केंद्र सरकार को 8.2 प्रतिषत बजट लक्ष्य को पूरा करना होगा। क्या प्रधानमंत्री कभी अपनी सरकार की गलतियों को स्वीकार करेंगे और सही मायने में आदिवासियों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध होंगे?
3. मोदी सरकार ने अक्सर भारत के प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा को नज़रअंदाज़ किया है। उनकी उपेक्षा विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान स्पष्ट रूप से सामने आई जब प्रवासी श्रमिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। वे काफ़ी लंबी दूरी तय करके अपने घर जाने को मजबूर हुए। इस दौरान कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अब, जैसे-जैसे खरगोन में चौथे चरण के मतदान की तारीख़ नज़दीक आ रही है, चिंता यह है कि इस लोकसभा क्षेत्र के लगभग 20,000 प्रवासी कामगार अपना वोट डालने में असमर्थ हो सकते हैं। कांग्रेस का न्याय पत्र प्रवासी श्रमिकों के रोज़गार को रेगुलेट करने और उनके मौलिक कानूनी अधिकारों की रक्षा के लिए कानून पेश करेगा। क्या भाजपा ने प्रवासी श्रमिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ किया है? क्या उनके पास प्रवासी श्रमिकों को वोट देने के अधिकार का प्रयोग करने में मदद करने की कोई योजना है?
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